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State Annual Budget 2016-17 Speech (Main Points on Agriculture and Animal Husbandry)

State Annual Budget 2016-17 Speech (Main Points on Agriculture and Animal Husbandry)

राज्य बजट 2016—17 का भाषण के मुख्य बिन्दु (कृषि एवं पशुपालन)

कृषि एवं पशुपालन

कृषि:

  • फसल रबी 2015 में भीषण ओलावृष्टि से नुकसान होने पर राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के 8 हजार 322 गाँवों के 29 लाख 24 हजार प्रभावित काश्तकारों को संबंल प्रदान करने की दृष्टि से 2 हजार 471 करोड़ रुपये की कृषि आदान अनुदान सहायता राशि इनके खातों में हस्तांतरित की गई, जो कि राजस्थान के इतिहास में अब तक अधिकतम है। 
  • फसलों के होने वाले नुकसान के पुनर्भरण के लिए वर्तमान में संचालित फसल बीमा योजना में कुछ विसंगतियां थीं, जिनको दूर कर भारत सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्राी फसल बीमा योजना‘ लागू की गयी है, जिसमें किसानों को कम  premium दर पर वास्तविक नुकसान की समय पर भरपाई होगी। राज्य सरकार इस योजना के माध्यम से प्रदेश के किसानों को लाभ पहुँचायेगी। इस हेतु राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रीमियम राशि को बढ़ाकर 676 करोड़ 37 लाख रुपये किया जाना प्रस्तावित है।
  • राज्य में आज भी अधिकतर जनसंख्या आर्थिक रूप से कृषि, बागवानी, पशुपालन, डेयरी, कृषि प्रसंस्करण एवं विपणन क्षेत्रा पर निर्भर है। आगामी वर्ष 2016 में Global Rajasthan Agritech Meet (GRAM)का आयोजन किया जायेगा। इस मेले के आयोजन के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाना प्रस्तावित है।
  • गत् वर्ष राज्य में प्रधानमंत्राी मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना लागू की गयी थी, जिसके तहत अब तक 6 लाख 28 हजार मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किये जा चुके हैं। इस योजना के तहत की गयी 3 लाख से भी अधिक मृदा जांचों से स्पष्ट होता है कि राज्य के अधिकांश जिलों में मृदा में प्रमुख रूप से zinc, iron, boron, manganese and magnesium जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी पायी जा रही है। सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की आवश्यकता के अनुसार राज्य के किसानों को सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के किट उपलब्ध करवाये जाने हेतु योजना बनायी जायेगी।
  • राज्य में सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए बूँद-बूँद सिंचाई एवं मिनि स्प्रिंकलर संयंत्र पर वर्तमान में देय अनुदान को तर्कसंगत बनाने के लिए इस योजना के तहत आगामी वर्ष से लघु एवं सीमांत कृषकों को 70 प्रतिशत एवं सामान्य श्रेणी के अन्य काश्तकारों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। ग्रीन हाऊस और शेडनेट के लिए भी अनुदान बढ़ाया जाकर आगामी वर्ष से लघु एवं सीमांत कृषकों, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कृषकों को 70 प्रतिशत एवं सामान्य श्रेणी के अन्य काश्तकारों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा।
  • प्रदेश के मरूस्थलीय एवं जनजाति क्षेत्रों में वर्षा आधारित खेती परंपरागत तरीकों से की जाती रही है। इन क्षेत्रों के उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, बीकानेर, चूरू, नागौर, जोधपुर, बाड़मेर, झालावाड़ एवं जैसलमेर जिलों के एक-एक विकास खण्ड को पूर्ण रूप से जैविक खेती में बदलने हेतु विशेष योजना बनाकर पायलट बेसिस पर कार्य प्रारंभ किया जायेगा। साथ ही Forest Training Institute झालावाड़ में organic farming का एक Centre of Excellence स्थापित किया जायेगा।
  • राज्य में किसानों को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराने हेतु विद्युत वितरण कंपनियों को दिये जा रहे अनुदान हेतु आगामी वर्ष में 7 हजार 205 करोड़ 13 लाख रुपये का प्रावधान किया जाना प्रस्तावित है।
  • प्रगतिशील कृषकों को व्याख्यान मानदेय के रूप में 1 हजार रुपये प्रति दिवस दिया जायेगा।
  • कृषकों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए मंडी online को आगे बढ़ाते हुए ई-मंडी की स्थापना की जायेगी, जहाँ किसान अपनी उपज को online बेच सकेंगे।
  • उद्यान विभाग ने वर्तमान में झालावाड़ में एक नया प्रशिक्षण module विकसित किया है। इसमें खेत पर ही दो दिवस का प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है। किसान दंपत्ति को वहीं पर बुलाकर सैद्धांतिक के साथ साथ प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाता है। अब कृषि एवं उद्यानिकी विषयों पर ऐसे प्रशिक्षण राज्य के सभी जिलों में संचालित किये जायेंगे।
  • राजस्थान राज्य बीज निगम एवं राष्ट्रीय बीज निगम के बीज उत्पादक कृषकों को online payment उसके बैंक खाते में सीधे किये जायेगा तथा इसे भामाशाह प्लेट फार्म से जोड़ा जायेगा।
  • श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के अंतर्गत 120 सीटों का  B.Sc(कृषि) व MBA,agri-business का स्ववित्त पोषित integrated programme चालू किया जायेगा। इस हेतु राज्य सरकार द्वारा एकबारीय ही 2 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जायेगा।
  • राजस्थान राज्य भंडार व्यवस्था निगम द्वारा 2 लाख 32 हजार मैट्रिक टन भंडारण क्षमता के गोदामों का निर्माण 162 करोड़ रुपये की लागत से करवाया जायेगा।

पशुपालन:

  • वर्तमान में प्रदेश की लगभग 5 हजार 500 ग्राम पंचायतों में पशु चिकित्सालय की कोई इकाई क्रियाशील नही हैं। गत वर्ष हमनें पशु चिकित्सा सुविधाओं से वंचित 600 ग्राम पंचायतों में नवीन पशु चिकित्सा उप-केन्द्र खोले जाने की घोषणा की थी। अब प्रदेश की ऐसी 1 हजार ग्राम पंचायतों में पशु संख्या को ध्यान में रखते हुए नवीन पशु चिकित्सा उप-केन्द्र खोले जाने की घोषणा। इन उप-केन्द्रों के भवन निर्माण पर 80 करोड़ तथा इनके संचालन पर लगभग 20 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का व्यय होगा।
  • प्रदेश में पशुपालकों को पशुबीमा का लाभ पहुँचाने के लिए वित्तीय वर्ष 2016-17 से सभी जिलों में दूध देने वाले, भार ढोने वाले एवं अन्य चयनित पशुओं के लिए राजकीय अनुदानित ‘भामाशाह पशु बीमा योजना‘ प्रारंभ करने की घोषणा। इस योजना के तहत बीपीएल, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के पशुपालकों को पशु-बीमा की प्रीमियम राशि का 70 प्रतिशत अनुदान एवं अन्य वर्ग के पशुपालकों को 50 प्रतिशत अनुदान देय होगा। इस योजना को भामाशाह योजना के साथ integrate किया जायेगा।

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