State Annual Budget 2016-17 Speech (Main Points on Forest and Environment)
राज्य बजट 2016—17 का भाषण के मुख्य बिन्दु (वन एवं पर्यावरण)
वन एवं पर्यावरण:
- शहरी क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाने हेतु राज्य में ‘नगर वन उद्यान योजना‘ लागू की जायेगी। प्रथम चरण में जयपुर व अजमेर में कम से कम 20 हेक्टेयर भूमि पर नगर वन उद्यान विकसित किये जायेंगे, जिनमें स्थानीय प्रजातियों के वृक्ष, औषधीय पौधे, जोगिंग ट्रैक एवं साईकिल ट्रैक आदि की सुविधा उपलब्ध करवायी जायेगी।
- मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के तहत वन क्षेत्रों, वन्यजीव क्षेत्रों तथा गैर-वन क्षेत्रों में जल संग्रहण क्षमता बढ़ाने हेतु राज्य के 17 जिलों यथा अलवर, भरतपुर, दौसा, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, टोंक, अजमेर, बूंदी, बांरा, कोटा, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, राजसमन्द, उदयपुर एवं सिरोही में 157 करोड़ 61 लाख रुपये की लागत से विशेष परियोजना क्रियान्वित की जायेगी।
- 64. राज्य में वन विकास एवं वन्यजीव संरक्षण हेतु वर्ष 2016-17 में campa funds के माध्यम से 138 करोड़ रुपये का व्यय किया जाना प्रस्तावित है।
- 65. रणथम्भोर, सरिस्का एवं मुकुंदरा हिल्स टाईगर रिजर्व के बीच स्थित गांवों के निवासियों के लिए वर्तमान में प्रचलित पुनर्वास पैकेज की समीक्षा कर उसे तर्कसंगत बनाया जायेगा। यह पुनर्वास का पैकेज उन्हीं गाँवों पर लागू होगा जो स्वेच्छा से अपने पुनर्वास की इच्छा व्यक्त करते हैं। टाईगर रिजर्व क्षेत्रों के निकटवर्ती गाँवों में नवीन कुकिंग गैस कनेक्शन हेतु वर्तमान में लागत का 50 प्रतिशत अनुदान देय है, जिसे बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की घोषणा। आगामी वर्ष में ऐसे 40 हजार गैस कनेक्शन दिये जाने प्रस्तावित हैं।
- रणथम्भोर टाईगर प्रोजेक्ट की सुरक्षा हेतु Special Tiger Protection Force (STPF) का गठन किया हुआ है। अब सरिस्का एवं मुकुंदरा हिल्स टाईगर प्रोजेक्ट के लिए भी STPF के गठन की घोषणा। इन 2 नये STPF के लिए के लिए पुलिस की जगह forest guard एवं forest watcher नियुक्त किये जायेंगे, जिनकी भर्ती केवल प्रोजेक्ट से विस्थापित होने वाले गाँव, प्रोजेक्ट से सटे हुए गाँव और उनके buffer क्षेत्र में स्थित गाँवों के युवाओं में से होगी। इस हेतु नियमों में आवश्यक संशोधन किया जायेगा।
- पर्यावरणीय गुणवत्ता में गिरावट के प्रति बढ़ती चिंता को दृष्टिगत रखते हुए राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा पर्यावरण संबंधी विषयों पर कौशल विकास के उद्देश्य से उत्कृष्ट संस्थाओं के सहयोग से Centre of Excellence की स्थापना की जायेगी।
- राज्य सरकार की start-up नीति के अंतर्गत आने वाले जो उद्योग industrial waste से उत्पादों का निर्माण करेंगे, ऐसे पर्यावरण हितैषी उद्योगों की स्थापना के लिए महिला एवं युवा उद्यमियों को राज्य प्रदूषण नियंत्राण मंडल के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी। इस हेतु 5 करोड़ रुपये का व्यय किया जाना प्रस्तावित है।
- वर्तमान में red, orange and green category के उद्योगों के संचालन के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा जल अधिनियम 1974 एवं वायु अधिनियम 1981 के अंतर्गत दी जाने वाली consent की अवधि 3, 5 व 10 वर्ष होती है, जिसे बढ़ाकर क्रमशः 5, 10 व 15 वर्ष किया जायेगा। इसके अतिरिक्त राज्य के green category में वर्गीकृत सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों, जिनमें वायु एवं जल प्रदूषण होने की संभावना नगण्य है, को मण्डल से जल एवं वायु अधिनियम के अंतर्गत consent प्राप्त करने की अनिवार्यता को समाप्त करने की घोषणा।
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