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Geography of rajasthan notes in hindi - 6

राजस्थान का भूगोल भाग—6

राजस्थान का अपवाह तंत्र


राजस्थान अपने रेगिस्तान के लिए जाना जाता है लेकिन इसके बावजूद यहां अच्छी संख्या में नदियां पाई जाती हैं।
हालांकि यहां बारमासी नदियों की तुलना में बरसाती नदियां ही ज्यादा पाई जाती हैं।
राजस्थान की अपवाह प्रणाली को अरावली पर्वतमाला द्वारा निर्धारित किया जाता है।

भारत की जल विभाजक रेखा यहां के नदियों को भी दो भागों में विभाजित करती है।
यह जल विभाजक रेखा उत्तर में अरावली के साथ सांभर झील के दक्षिण तक जाती है।
जल विभाजक के पश्चिमी और दक्षिणी भाग की नदियां अरब सागर में गिरती है। इन नदियों में लूनी, पश्चिमी बनास, साबरमती और माही मुख्य हैं।
जल विभाजक के पूर्वी भाग में बनास व उसकी सहायक नदियों में बहता हुआ बंगाल की खाड़ी में चला जाता है। 
राजस्थान के बहुत बड़े भूभाग का पानी किसी समुद्र में नहीं जाकर अंतः स्थलीय प्रवाह प्रणाली बनाता है। 
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान की अपवाह प्रणाली को तीन भागो में बांटा जा सकता है।




पहले भाग में वे नदियां आती हैं जो राजस्थान के अपवाह तंत्र का हिस्सा और बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है।
इस अपवाह तंत्र की सबसे प्रमुख नदी चम्बल है। चम्बल मध्य प्रदेश के जानापाव पहाड़ी से निकल कर उत्तर प्रदेश में यमुना नदी में मिल जाती है।
बनास, पार्वती, काली सिंध इसकी प्रमुख सहायक नदियां है।
इस भाग की दूसरी प्रमुख नदी बनास है। यह भोराठ के पठार की खमनौर पहाड़ी से निकलकर सवाई माधोपुर के रामेश्वर में चम्बल में मिल जाती है।
बेड़च, कोठारी, खारी, मैनाल, बाण्डी, मांसी, ढूंढ व मोरेल इसकी मुख्य सहायक नदियां हैं।
बाणगंगा इस हिस्से की तीसरी प्रमुख नदी है। यह जयपुर जिले के विराट नगर से निकलकर चम्बल में मिलती है।
काली सिंध इस हिस्से की चैथी प्रमुख नदी है। यह नदी विन्ध्यन पर्वत से निकलकर झालावाड़ में बहती हुई चम्बल में मिल जाती है। परवन इसकी सहायक नदी है।
दूसरे हिस्से में वे नदियां आती हैं जो अरब सागर में गिरती है। 
लूनी इस हिस्से की सबसे प्रमुख नदी है। यह अजमेर के नाग पहाड़ से निकलकर कच्छ के रन में समाप्त हो जाती है। 
बालोतरा तक इस नदी का पानी मीठा होता है। इसके बाद इसका पानी खारा हो जाता हैं।
जोजरी, लिलड़ी, सूकड़ी, जवाई और बाण्डी इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं।
इस भाग की दूसरी प्रमुख नदी माही है। यह मध्यप्रदेश के अझमोर से निकलती है और राजस्थान के डूंगरपुर और बांसवाड़ा में बहने के बाद गुजरात में खंभात की खाड़ी में गिरती है।
सोम और जाखम इस नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं और इनके संगम पर बेणेश्वर धाम या पवित्र त्रिवेणी संगम स्थित है।
माही पर बांसवाड़ा में माही बजाज सागर का निर्माण किया गया है।
इसका तीसरा प्रमुख हिस्से में अन्तः स्थलीय प्रवाह वाली नदियां आती हैं। इनमें कान्तली, साबी, काकनी, घग्घर प्रमुख है। ये नदियां बरसात में ही ज्यादा क्रियाशील होती हैं।






जिला नदियां
अजमेर सागरमती, सरस्वती, लूणी, खारी, डाई और बनास।
नागौर लूणी और हरसोर।
टोंक बनास, मासी, बांडी और सोहदरा।
भीलवाड़ा बनास, बेड़च, कोठारी, मानसी, खारी, मैनाली और चन्द्राभागा।
जोधपुर लूणी, मीठड़ी, जोजरी और गुणाई माता।
जालोर लूणी, बांडी, जवाई, खारी और सागी।
सिरोही पश्चिमी बनास, सूकड़ी, खारी, जवाई, सूकली, कपालगंगा, कृष्णावती, बांडी।
बाड़मेर सूकड़ी, लूणी और मीठड़ी।
जैसलमेर काकनेय, लाठी और धोगड़ी।
पाली लीलड़ी, सूकड़ी, जवाई और बांडी।
उदयपुर बेड़च, वाकल, सोम, जाखम, साबरमती, गौमती और कोठारी।
राजसमन्द बनास और चन्द्राभागा।
डूंगरपुर सोम, जाखम और माही।
बांसवाड़ा माही, अन्नास और चैनी।
चित्तौड़गढ़ चम्बल, बनास, बेड़च, बामणी, गंभीरी, गुंजली, औराई और जाखम।
कोटा चम्बल, काली सिन्ध, पार्वती, आहू, परबन, निवाज और अंधेरी।
बारां परबन और पार्वती।
झालावाड़ काली सिन्ध, आहू, निवाज, पिपलाज, चन्द्राभागा, परबन, अंधेरी, क्यासरी, घोड़ा पछाड़।
सवाईमाधोपुर चम्बल, बनास, मोरेल और गंभीर।
बूंदी कुराल, घोड़ा पछाड़, चम्बल, मेज और मंगली।
जयपुर बाणगंगा, बांडी, ढूंढ, मोरेल, साबी, डाई और मासी।
भरतपुर बाणगंगा, गंभीर, काकुंड, रूपारेल और पार्वती।
धौलपुर चम्बल, गंभीर और पार्वती।
अलवर साबी, रूपारेल, सोटा, चूहड़ और सिंध।
दौसा मोरेल और बाणगंगा।
सीकर कांटली, मन्था, साबी, कृष्णावती और सोटा।
झुंझुनूं कांटली।
श्रीगंगानगर घग्घर।
हनुमानगढ़ घग्घर।
प्रतापगढ़ माही और एराव।
करौली चंबल, गंभीर, अटा, मांची, बेसावट, बरखेड़ा, बद्ररावती एवं जगर।


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