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Fairs and Festivals of Ajmer

अजमेर के मेले एवं त्यौहार

ख्वाजा साहब की उर्स

अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह जिन्हें अजमेर शरीफ भी कहा जाता है। यहां प्रति वर्ष रज्जब माह की एक से 6 तारीख तक उर्स मेला भरता है। देश के विभिन्न भागों से सभी धर्मों के धर्मावलम्बी इस मेले मे आते हैं। ख्वाजा साहब का उर्स चांद दिखाई देने पर दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडा फहराने के साथ शुरू हो जाता है। रज्जब माह की एक तारीख से शाही महफिल खाने में रात 11 से सुबह तक आध्यात्मिक कव्वालियां होती हैं। यह कार्यक्रम 6 दिन तक चलता है। एक रज्जब से 6 रज्जब तक रात्रि को ख्वाजा साहब की मजार से गुसल की रस्म होती है। पहले चरण में खादिमों द्वारा केवड़े व गुलाब जल से मजार धोई जाती है फिर दरगाह दीवान व अन्य सूफी संतों को बुलाया जाता है जो मजार शरीफ को गुसल देते हैं। मजार शरीफ से उतरा गुलाब जल खादिम बोतलों में भरकर जायरीनों को भेंट में देते हैं। रज्जब की 6 तारीख को ख्वाजा साहब की बफात का दिन मनाया जाता है। इस दिन सुबह से ही जायरीन नमाज के बाद से ही दरगाह में आने लगते हैं। यहां गुलाब जल के छींटे मारे जाते हैं। इसे कुल के छींटे और कुल की रस्म भी कहा जाता है। तीन दिन बाद रज्जब की 9 तारीख को आखिरी गुसल की रस्म होती है। इसे बड़े कुल की रस्म करार दिया जाता है।

पुष्कर का मेला

पुष्कर में प्रतिवर्ष कार्तिक सुदी एकादशी से पूर्णिमा तक अक्टूबर—नवम्बर माह में मेला भरता है। पुष्कर मेला विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम इस अवसर पर पर्यटन ग्राम जैसी व्यवस्था भी करता है। पुष्कर मेले में विशाल पशु मेला भी लगता है।

ब्यावर का बादशाह मेला

ब्यावर में रंग बिरंगे होली के त्यौहार चैत्र बदी पर बादशाह मेला बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यहां होलिका दहन के बाद धुलण्डी के दूसरे दिन बादशाह सवाही बड़ी धूमधाम से निकाली जाती है। बादशाह बनने वाला व्यक्ति मोहरों के तौर पर गुलाल बांटता है।

तेजाजी का मेला

अजमेर जिले में तेजाजी का मेला बड़ी धूमधाम के साथ सम्पन्न होता है। यह मेला पूर्णत: ग्रामीण क्षेत्रों तक ही सीमित है। जिले में तेजाजी का मेला ब्यावर, केकड़ी, दोराई, टाटगढ़, जवाजा नामक स्थानों पर भाद्रपद सुदी 10 या तेजा दशमी को लगता है। इस अवस पर पशु मेला भी लगता है। इसके अलावा अजमेर जिले मे अन्य भरने वाले मेलों में रामदेवजी का मेला, चामुण्डा माता का मेला, आंतेड का मेला, बजरंग गढ़ का मेला, दशहरा मेला आदि प्रमुख है।
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