mukhyamantri jal swavalamban abhiyan
मुख्यमन्त्री जल स्वावलम्बन अभियान
प्रदेश में जल की आवश्यकता एवं उपलब्धता में भारी अन्तर के दृष्टिगत राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान’ के माध्यम से जल संकट के स्थायी समाधान को प्राथमिकता देने की अभिनव पहल की है। इस अभियान के प्रथम चरण का शुभारंभ 27 जनवरी 2016 से होगा। भौगोलिक दृष्टि से राजस्थान देश का सबसे बडा राज्य हैं जिसका क्षेत्रफल 343 लाख हैक्टेयर हैं । इसमें से 168 लाख हैक्टेयर भूमि ही कृषि योग्य हैं । राज्य की 101 लाख हैक्टेयर भूमि बंजर है। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल राज्य का क्षेत्रफल का 10.4 प्रतिशत हैं जबकि उपलब्ध जल मात्र 1.16 प्रतिशत ही हैं। इस अंिभयान के द्वारा प्रदेश में कम वर्षा होने के बावजूद अधिकांश क्षेत्रों से वर्षा जल व्यर्थ बहकर निकल जाता है और साथ में खेतों का कटाव कर उपजाऊ मिट्टी भी बहा ले जाता है। इसलिए वर्षा जल को जगह-जगह संचित एवं संग्रहित करने से अनेक लाभ होंगे।
मुख्यमन्त्री जल स्वावलम्बन अभियान अवधि एवं रूपरेखा
अभियान की कार्य अवधि 4 वर्ष रहेगी । प्रत्येक वर्ष की कार्य योजना में स्वीकृत कार्य उसी वर्ष 30 जून तक पूर्ण किये जाएंगे, प्रथम वर्ष में लगभग 3 हजार 529 गाँवों में जल संग्रहण एवं संरक्षण के कार्य किये जाएंगे। अगले तीन 3 वर्षो में प्रतिवर्ष 6-6 हजार गाँवों को अभियान में शामिल किया जायेगा ।
मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के सात प्रमुख उद्देश्य
1.राज्य में प्राप्त विभिन्न वित्तीय संसाधनों (केन्द्रीय, राज्य, कॉर्पोरेट जगत, ट्रस्टों, गैर सरकारी संगठन एवं जन सहयोग) का कनवरजेन्स कर जल संरक्षण एवं जल भराव संरचनाओं की गतिविधियों का प्रभावी क्रियान्वयन करना।
2.ग्रामीणों एवं लाभान्वितों को जल के समुचित उपयोग के बारे में जागृत कर जन सहभागिता से कार्य सम्पादित कराना।
3.ग्राम स्तर पर ग्रामसभा में जल की समग्र आवश्यकता यथा पेयजल, सिंचाई, पशुधन व अन्य व्यवसायिक कार्यो हेतु आंकलन कर उपलब्ध समस्त स्रोतों से प्राप्त जल के अनुरूप जल बजट का निर्माण कर उसी के अनुरूप कार्यों का चिन्हीकरण कर प्रस्ताव पारित कर मिशन की ग्राम कार्य योजना तैयार करना।
4.ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से प्राप्त जल प्रवाह (वर्षा जल, सतही जल, भू गर्भीय जल एवं मिट्टी की नमी) के जल भराव क्षेत्रों की क्षमता को विकसित करना, जिसमेंं उपलब्ध जल संग्रहण ढांचो का उपयोंग, अनुपयोगी जल ढांचों का पुनरूद्घार/कायाकल्प कर क्रियाशील करना एवं नये जल संग्रहण ढांचों का निर्माण करना।
5.जल ग्रहण क्षेत्र/कलस्टर/इन्डेक्स कैचमेन्ट को इकाई मानते हुए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन कर जल, जंगल, जमीन, जन एवं जानवर का विकास करना।
6. ग्राम को जल आत्म निर्भर बनाकर पेयजल का स्थाई समाधान करना।
7.क्षेत्रों में जल संग्रहण एवं संरक्षण कर सिंचाई क्षेत्रफल को बढ़ाना।
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