Important decision in cabinet meeting held on 3 September 2015
Important decision in cabinet meeting held on 3 September
247 अनुपयोगी कानून खत्म होंगे
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की अध्यक्षता में गुरुवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई कैबिनेट बैठक में राजस्थान विधियां निरसन विधेयक-2015 को मंजूरी देने, नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 में संशोधन तथा आईटी नीति के अनुमोदन सहित कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए। संसदीय कार्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने कैबिनेट बैठक में लिए गए महत्त्वपूर्ण निर्णयों की जानकारी मीडिया को देते हुए बताया कि राज्य में विद्यमान अप्रचलित एवं अनावश्यक कानूनों की समीक्षा के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी द्वारा की गई समीक्षा के बाद विभिन्न विभागों की बैठक कर 60 मूल कानूनों एवं 187 संशोधित कानूनों को वापस लेने के लिए राजस्थान विधियां निरसन विधेयक-2015 तैयार किया गया जिसे गुरुवार को कैबिनेट ने मंजूरी दी। इस विधेयक को विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 1997 के बाद राज्य में पहली बार अनुपयोगी कानूनों को समाप्त करने की कार्रवाई की गई है।
शिक्षा के स्तर में गिरावट रोकने के लिए आरटीई एक्ट में होगा संशोधन
नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत 8वीं तक बच्चों को अनुत्तीर्ण करने का प्रावधान नहीं है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में आ रही कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने इस अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया है जिसे कैबिनेट मेें मंजूरी दी गई। इसे विधानसभा में पारित कराने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
राजस्थान देश में पहला राज्य है जिसने शिक्षा में आ रही गिरावट को रोकने के लिए इस अधिनियम में संशोधन की पहल की है। उन्होंने बताया कि इस एक्ट की धारा 21 (2) में संशोधन के माध्यम से शाला प्रबंधन समितियों (एसएमसी) को स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों की नॉम्र्स के अंतर्गत निगरानी का अधिकार प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने बताया कि बच्चों का विभिन्न स्तरों पर शिक्षा ग्रहण करने का सामथ्र्य का निर्धारण करने का प्रावधान भी प्रस्तावित किया गया है।
डिजिटल राजस्थान के लिए आईटी नीति-2015 को मंजूरी
ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने तथा डिजिटल राजस्थान के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रदेश को आईटी हब बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई राजस्थान ई-गवर्नेंस एवं आईटी/आईटीईएस नीति-2015 को कैबिनेट ने मंजूरी दी। इस नीति के तहत 2020 तक राजस्थान में 7 स्मार्ट सिटी स्थापित करने, 2025 तक 5 लाख लोगों को आईटी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने, जयपुर को उत्तरी-पश्चिमी भारत का आईटी हब बनाने, राज्य का आईटी टर्न ओवर 50 हजार करोड़ एवं आईटी एक्सपोर्ट 5 हजार करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति के तहत हर घर से 2 व्यक्ति, जिनमें से कम से कम एक महिला, को ई-साक्षर करने एवं सरकारी सेवाओं को अधिक से अधिक पारदर्शी, दक्ष एवं जवाबदेह बनाने के लिए आईटी के अधिकाधिक उपयोग पर जोर दिया गया है। आईटी नीति-2015 के तहत 5 करोड़ रुपये तक, 5 करोड़ से 25 करोड़ एवं 25 करोड़ से अधिक निवेश करने वाले विनिर्माण उद्यमों को पिछले 7 वर्षों में जमा करवाए गए वैट तथा सीएसटी मेें क्रमश: 30 प्रतिशत, 60 प्रतिशत तथा 70 प्रतिशत तक निवेश सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार 5 करोड़ रुपये तक, 5 करोड़ से 25 करोड़ एवं 25 करोड़ से अधिक निवेश करने वाले विनिर्माण उद्यमों को पिछले 7 वर्षों में जमा करवाए गए वैट तथा सीएसटी मेें क्रमश: 20 प्रतिशत, 10 प्रतिशत तथा 10 प्रतिशत तक रोजगार सृजन सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। साथ ही 7 साल के लिए विद्युत शुल्क एवं भूमि कर के भुगतान में 50-50 प्रतिशत छूट का प्रावधान किया गया है।
सार्वजनिक स्थान पर नशे में धुत पाये जाने पर लगेगा अधिक जुर्माना
कैबिनेट ने राजस्थान पुलिस (संशोधन) विधेयक-2015 के प्रारूप को मंजूरी दी है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर शराब के नशे में धुत पाये जाने अथवा बलवा करते पाये जाने पर उस पर लगने वाले जुर्माने की राशि 50 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये, दूसरी बार पाये जाने पर 5 हजार रुपये तथा तीसरी बार पाये जाने पर 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में पुलिस अधिनियम-2007 की धारा 60 के तहत इस अपराध के लिए 50 रुपये जुर्माना का प्रावधान है जो पर्याप्त नहीं है।
उर्दू शिक्षकों के समाप्त पदों की होगी पुन: समीक्षा
उर्दू विषय के व्याख्याता एवं वरिष्ठ अध्यापकों के समाप्त किए गए पदों की विभाग द्वारा पुन: समीक्षा कर आवश्यकता अनुसार पदों को पुनर्जीवित करने की कार्यवाही की जाएगी। इस सम्बन्ध में कैबिनेट में निर्णय लिया गया है।




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