Corona Virus Related GK and Facts- कोरोना महामारी सामान्य ज्ञान-5
हमने कोरोनावायरस पर सामान्य ज्ञान की एक श्रृंखला शुरू की हैं, जिसकी पहली कड़ी में हमने कोरोना वायरस की आधारभूत जानकारी और दूसरी कड़ी में इलाज के बारे में तीसरी कड़ी में कोरोना वायरस से सम्बन्धित शब्दावली उपलब्ध करवाई। चौथी कड़ी में कोरोना से जुड़े संस्थान के बारे में परीक्षा उपयोगी जानकारी दी गई. इस पांचवी और आखिरी कड़ी में कोरोना से जुड़े कानून और एक्ट आसान भाषा में उपलब्ध करवा रहे हैं, इस श्रृंखला की कड़ी में पांचवी पोस्ट:
- कुलदीप सिंह चौहान
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कोरोना वायरस से संबंधी कानून और एक्ट
महामारी अधिनियम 1897 चर्चा में क्यों है?
1897 में तत्कालीन बम्बई में प्लेग फैलने के दौरान स्थिति को नियंत्रित करने के लिये अंग्रेजों द्वारा इस कानून को लागू किया गया था। यह कानून महामारी को नियंत्रित करने के लिये राज्यों को समस्त आवश्यक कदम उठाने के लिये अधिकृत करता है। हाल ही में कोविड—19 के दौरान कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों को देखते हुये अध्यादेश द्वारा इस कानून में संशोधन किया गया है। अब स्वास्थ्यकर्मियों पर किये गये हमले को संज्ञेय अपराध और गैर जमानती अपराध बनाया गया है। साथ ही 3 माह से 5 माह तक की सजा और 50 हजार से 2 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 क्या है?
किसी भी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित आपदा उपस्थित होने की दशा में इस अधिनियम का प्रयोग किया जा सकता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की धारा 6 और 10 के अधीन कोविड—19 को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया ताकि पूरे देश में लॉकडाउन के लिये एक समान प्रक्रिया अपनाई जा सके। किसी व्यक्ति के द्वारा कानून की अवज्ञा करने की स्थिती में पहले अपराध पर 1 वर्ष और दूसरे अपराध पर 2 वर्ष की सजा का प्रावधान करता है। जिला स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट इसका नोडल अधिकारी है जो किसी भी व्यक्ति को आपदा को रोकने के लिये कार्य करने का आदेश दे सकता है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का अध्यक्ष कौन होता है?
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का अध्यक्ष मुख्यमंत्री होता है। कोविड—19 को अधिसूचित आपदा घोषित करने से राज्य सरकारें स्टेट डिजास्टर रेस्पोंस फंड का उपयोग करने की स्थिति में आ गईं हैं। अधिसूचित आपदाओं से निपटने के लिये राज्यों के पास यह प्राथमिक स्रोत है। इसमें 75 प्रतिशत भागीदारी केन्द्र सरकार की और 25 प्रतिशत भागीदारी राज्य सरकार की होती है। विशेष श्रेणी के राज्यों में यह अनुपात 90:10 का होता है। इसी फण्ड से कोविड—19 से मृत्यु होने प 4 लाख की सहायता का प्रावधान किया गया है।
धारा 188 क्या है?
भारतीय दण्ड संहिता के तहत लोक सेवक द्वारा जारी किये गये आदेशों की पालना नहीं करने पर 1 माह से 6 माह तक के दण्ड का प्रावधान किया गया है। 1897 के महामारी अधिनियम के अन्तर्गत जारी आदेशों की पालना नहीं करने वालों के विरूद्ध इस धारा का प्रयोग किया जा रहा है।
अफवाह फैलाने के लिये किस धारा के तहत सजा का प्रावधान है?
धारा 505 आईपीसी के तहत डर पैदा करने वाली सूचनाओं का प्रसार करने वालो के लिये सजा का प्रावधान है। इस धारा के तहत 3 साल तक की सजा या जुर्माना अथवा दोनों देने का प्रावधान है। आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 के अन्तर्गत भी झूठी चेतावनी/सूचना प्रसारित करने के लिये दण्ड का प्रावधान है।
आपदा प्रबंधन की धारा 51 की विशेषता है?
आपदा प्रबंधन की धारा 51 के तहत आपदा प्रबंधन के लिये कार्यरत अधिकारी को अपने कार्य सम्पादन से रोकने तािा अधिकारी को आदेश नहीं मानने पर 1 वर्ष की सजा का प्रावधान है। जो गंभीर खतरे की दशा में 2 वर्ष भी हो सकती है।
आपदा प्रबंधन की धारा 52 की विशेषता है?
आपदा प्रबंधन की धारा 52 के तरह गलत सूचनाओं के आधार पर किसी भी तरह की राजकीय सहायता प्राप्त करने वाले के लिये दो वर्ष की सजा या जुर्माने का प्रावधान है।
धारा 144 क्या है?
अपराध प्रक्रिया संंहिता 1973 के तहत प्रथम कार्यपालक श्रेणी मजिस्ट्रेट अपने क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिये 4 या उससे अधिक लोगों को इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा सकता है। उक्त पाबंदी के साथ ही यदि आवश्यक वस्तुओं/सेवाओं को भी बंद कर दिया जाये तो इसे कर्फ्यू कहा जाता है। इन आदेशों का उल्लंघन करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 का उपयोग किया जाता है।
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काम के नोट्स: