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Geography of Rajasthan Notes on Rivers of Rajasthan-1

Geography of Rajasthan Notes on Rivers of Rajasthan-1

राजस्थान की नदियां - परीक्षा उपयोगी तथ्य

राजस्थान की नदियां नोट्स की इस श्रृंखला के पहले हिस्से में बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों से जुड़े तथ्य दिये जा रहे हैं. इस श्रृंखला में राजस्थान की नदियों और सिंचाई परियोजनाओं को एक साथ लाने का प्रयास करेंगे. इन पोस्ट्स की अपडेट से जुड़ने के लिये आप हमारे फेसबुक पेज को लाइक कर सकते हैं या फिर हमारे टेलीग्राम चैनल से भी जुड़ सकते हैं.

- कुलदीप सिंह चौहान
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भारत की महान जल विभाजक रेखा राजस्थान में बहने वाली नदियों को दो भागों में बांटती है. 

जल विभाजक के पश्चिम और दक्षिण भाग की नदियां अरब सागर में गिरती है, जबकि जल विभाजक के पूर्वी भाग में बनास व उसकी सहायक नदियों का पानी बंगाल की खाड़ी में मिलता है. 

राजस्थान के अनेक नदियों का पानी अंतः स्थलीय प्रवाह के कारण मरुस्थल में ही विलीन हो जाता है. 

राजस्थान के अधिकांश नदियां अन्य राज्य से आती हैं और दोबारा दूसरे राज्य में प्रवेश कर जाती है. 

राजस्थान में चंबल के अलावा अन्य नदियां वर्षा के साथ ही प्रवाहित होती हैं. 

बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां 

1. चंबल 2. बनास 3. बाणगंगा 4. पार्वती 5. कालीसिंध 6. परवन 7. बेड़च 8.कोठारी 9. खारी 

अरब सागर में गिरने वाली नदियां 

1.लूनी 2.माही 3.साबरमती 

अंतः स्थलीय प्रभाव वाली नदियां 

1.घग्गर 2.कांतली 3.साबी 4.काकनी 

इन नदियों में अधिकतर में बरसात आने पर कभी-कभी बाढ़ भी आ जाती है. 

राजस्थान की प्रमुख नदियां 

चंबल  

यह नदी मध्यप्रदेश के विंध्य पर्वत श्रेणी में से महू के निकट जानापाव पहाड़ी से निकलकर उत्तर प्रदेश में यमुना में मिलती है. 

इसकी प्रमुख सहायक नदियां बनास पार्वती व कालीसिंध है. 

प्राचीन काल में इसे चमर्ण्यवती नदी के नाम से जाना जाता था. 

इसका एक नाम कामधेनु नदी भी है. 

राजस्थान में यह चौरासीगढ़ के निकट प्रवेश कर कोटा और बूंदी जिले की सीमा बनाती है. 

चौरासीगढ़ के निकट ही चूलिया प्रपात है, जिसके बाद नदी एक संकीर्ण घाटी में प्रवाहित होती है.

इसके बाद कोटा सवाई माधोपुर की सीमा बनाते हुए राजस्थान मध्य प्रदेश की सीमा के साथ-साथ प्रवाहित होती हुई यमुना में मिल जाती है. 

चंबल नदी की कुल लंबाई 965 किलोमीटर है, इसकी राजस्थान में लंबाई 135 किलोमीटर है. 

सवाई माधोपुर और धौलपुर में नदी द्वारा कटाव के कारण बनी स्थालाकृतियों को स्थानीय भाषा में बीहड़ कहा जाता है. 

नदी पर निर्मित गांधी सागर बांध, जवाहर सागर बांध, राणा प्रताप सागर बांध और कोटा बैराज सिंचाई जल विद्युत के प्रमुख स्रोत हैं. 

कालीसिंध 

यह नदी मध्यप्रदेश में देवास के निकट से निकलकर झालावाड़ और बारां में बहती हुई नोनेरा के निकट चंबल में मिलती है. 

इस की सहायक नदियां परवन, निमाज, उजाड़ और आहू है.

पार्वती 

यह नदी मध्यप्रदेश के सीहोर के निकट से निकलकर बारां जिले में बहती हुई सवाई माधोपुर के बलिया के निकट चंबल में मिलती है. 

इसकी प्रमुख सहायक नदियां अंधेरी, रेत्तरी, अहेली और कूल हैं. 

ब्राह्मणी 

इस नदी को वापनी भी कहा जाता है. 

चित्तौड़गढ़ में हरिपुरा गांव के निकट से निकलकर यह भैंसरोड गढ़ के पास चंबल में मिलती है. 

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मेज नदी 

यह नदी भीलवाड़ा जिले से निकलकर बूंदी में लाखेरी के निकट चंबल मिलती है. 

गंभीरी 

गंभीरी नदी मध्य प्रदेश में जावर के पहाड़ियों से निकलकर चित्तौड़गढ़ में बहराइच में मिल जाती है. 

बनास नदी 

बनास नदी कुंभलगढ़ के निकट अरावली की खमनोर की पहाड़ियों से निकलती है. 

यह राजस्थान की प्रमुख नदियों में से एक है क्योंकि प्रवाह का संपूर्ण भाग राजस्थान में ही है. 

कुंभलगढ़ के दक्षिण में गोगुंदा के पठार में प्रवाहित होती हुई यह नाथद्वारा, राजसमंद से रेलमगरा होती हुई है अंत में रामेश्वर के निकट चंबल मिलती है. 

इसके कुल लंबाई 480 किलोमीटर है. 

इसकी प्रमुख सहायक नदियां बैराज, कोन, खारी, मेनाल, बांडी, मानसी, ढूंढ और मोरेल हैं. 

इस नदी को वन की आशा भी कहा जाता है. 

बीगोद और मांडलगढ़ के बीच बनास, बेड़च और मेनाल का संगम होता है, इसे त्रिवेणी भी कहा जाता है. 

बेड़च  

यह नदी उदयपुर के निकट गोगुंदा के पहाड़ियों से निकलती है. 

उदयपुर में इसे आयड़ कहते हैं, उदयसागर झील मिलने के बाद से बेड़च कहा जाता है. 

इसके पश्चात चित्तौड़गढ़ जिले में बहती हुई बीगोद, भीलवाड़ा के निकट अंत में बनास में मिल जाती है. 

कोठारी 

यह बनास की सहायक नदी है जो उदयपुर से निकलने के बाद भीलवाड़ा में बनास से मिल जाती है. 

खारी 

खारी नदी उदयपुर के बिजराल ग्राम पहाड़ी से निकलकर देवली निकट यह बनास में मिल जाती है. 

बाणगंगा 

इस नदी का जयपुर के निकट विराट की पहाड़ियों से इसका उद्गम होता है. 

उद्गम के पश्चात यह सवाई माधोपुर, भरतपुर होती हुई आगरा के फतेहाबाद के निकट यमुना में मिलती है लेकिन वर्तमान में भरतपुर तक ही इसका प्रवाह क्षेत्र है. 

इसकी कुल लंबाई 380 किलोमीटर है

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