Header Ads

History of Rajasthan (Important facts for RPSC exams) Part-9

History of Rajasthan (Important facts for RPSC exams) Part-9

राजस्थान के इतिहास के परीक्षापयोगी बिन्दु (भाग-9)

राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंश

गुहिल-सिसोदिया वंश

राणा सांगा (1509-1528)


  • मेवाड़ के वीरों में राणा सांगा (1509-1528) का अद्वितीय स्थान है।
  • सांगा ने गागरोन के युद्ध में मालवा के महमूद खिलजी द्वितीय और खातौली के युद्ध में दिल्ली
  • के सुल्तान इब्राहीम लोदी को पराजित कर अपनी सैनिक योग्यता का परिचय दिया।
  • सांगा भारतीय इतिहास में हिन्दूपत के नाम से विख्यात है।
  • राणा सांगा खानवा के मैदान में राजपूतों का एक संघ बनाकर बाबर के विरुद्ध लड़ने आया था परन्तु पराजित हुआ।
  • बाबर के श्रेष्ठ नेतृत्व एवं तोपखानें के कारण सांगा की पराजय हुई।
  • खानवा का युद्ध (17 मार्च, 1527) परिणामों की दृष्टि से बड़ा महत्त्वपूर्ण रहा। इससे राजसत्ता राजपूतों के हाथों से निकलकर, मुगलों के हाथों में आ गई।
  • यहीं से उत्तरी भारत का राजनीतिक संबंध मध्य एशियाई देशों से पुनः स्थापित हो गया।

  • राणा सांगा अन्तिम हिन्दू राजा था, जिसके सेनापतित्व में सब राजपूत जातियाँ विदेशियों को भारत से निकालने के लिए सम्मिलित हुई।
  • सांगा ने अपने देश के गौरव रक्षा में एक आँख, एक हाथ और टांग गँवा दी थी। इसके
  • अतिरिक्त उसके शरीर के भिन्न-भिन्न भागों पर 80 तलवार के घाव लगे हुये थे।
  • सांगा के पुत्र विक्रमादित्य (1531 -1536) के राजत्व काल में गुजरात के बहादुरशाह ने चित्तौड़ पर दो आक्रमण किये, जिसमें मेवाड़ को जन और धन की हानि उठानी पड़ी।
  • इस आक्रमण के दौरान विक्रमादित्य की माँ और सांगा की पत्नी हाड़ी कर्मावती ने हुमायूँ के पास राखी भेजकर सहायता मांगी परन्तु समय पर सहायता न मिलने पर कर्मावती (कर्णावती) ने जौहर व्रत का पालन किया।
  • कुँवर पृथ्वीराज के अनौरस पुत्र वणवीर ने अवसर पाकर विक्रमादित्य की हत्या कर दी।
  • वह विक्रमादित्य के दूसरे भाई उदयसिंह को भी मारकर निश्चिन्त होकर राज्य भोगना
  • चाहता था परन्तु पन्नाधाय ने अपने पुत्र चन्दन को मृत्यु शैया पर लिटाकर उदयसिंह को बचा लिया और चित्तौड़गढ़ से निकालकर कुंभलगढ़ पहुँचा दिया।
सभी नोट्स डाउनलोड करने के लिये क्लिक करें:
Powered by Blogger.